तिरुपति लड्डू को लेकर चल रहे विवाद के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर 320 रुपये प्रति किलोग्राम घटिया गुणवत्ता वाला घी खरीदने का आरोप लगाया, जबकि बाजार में इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम थी। उन्होंने कहा, “हमने घी आपूर्तिकर्ता को बदल दिया है और कर्नाटक से नंदिनी ब्रांड का घी खरीदना शुरू कर दिया है।”
घटिया घी खरीदने का आरोप
हाल ही में एक बयान में नायडू ने दावा किया कि पूर्ववर्ती सरकार ने घटिया गुणवत्ता वाला घी 320 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा, जबकि बाजार मूल्य 500 रुपये था। उन्होंने कहा, “हमने घी आपूर्तिकर्ता को बदल दिया है और कर्नाटक से नंदिनी ब्रांड का घी खरीदना शुरू कर दिया है।” उन्होंने लड्डू की गुणवत्ता बहाल करने के उद्देश्य से किए गए बदलाव पर प्रकाश डाला।
मिलावट के आरोप
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने प्रयोगशाला परीक्षणों के निष्कर्षों की रिपोर्ट दी जिसमें घी में लार्ड (सूअर की चर्बी) और अन्य अशुद्धियाँ मौजूद होने का संकेत मिला। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने पुष्टि की कि कई नमूनों में पशु वसा पाई गई, जिसके कारण मिलावटी घी की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की गई।
तत्काल की गई कार्रवाई
राव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया, “नमूनों की सभी चार रिपोर्ट में एक जैसे नतीजे सामने आए, जिसके कारण हमें आगे की आपूर्ति रोकनी पड़ी।” टीटीडी ठेकेदार को काली सूची में डालने की प्रक्रिया में है और उस पर जुर्माना लगाएगा, साथ ही कानूनी कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है।
जवाबदेही और जनभावना
नायडू ने भक्तों पर इन गुणवत्ता संबंधी मुद्दों के संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “लोग कह रहे हैं कि उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। क्या मुझे उन्हें छोड़ देना चाहिए जब अक्षम्य गलतियाँ की गई हैं?” उनकी टिप्पणी स्थिति की गंभीरता और पवित्र प्रसाद के प्रबंधन में जवाबदेही की आवश्यकता को दर्शाती है।
इससे पहले सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “इस अनियमितता में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुझे जो लैब रिपोर्ट मिली है, उससे यह स्पष्ट है कि प्रसाद की गुणवत्ता से समझौता किया गया था और अशुद्ध वस्तुओं की मिलावट की बात सामने आई है। इन सबके लिए जिम्मेदार कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। कुछ लोगों को काम से भी हटा दिया गया है। प्रसाद की शुद्धता को ध्यान में रखते हुए अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस कार्रवाई से श्रद्धालु भी संतुष्ट हैं।” उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में जांच की जा रही है। घटना से जुड़े सबूत जुटाए जा रहे हैं।
आंतरिक परीक्षण सुविधा का अभाव
राव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आपूर्तिकर्ताओं ने इन-हाउस परीक्षण सुविधा की अनुपस्थिति का लाभ उठाया, जिससे मिलावटी उत्पादों का उपयोग करने की अनुमति मिल गई। इस निरीक्षण की कमी ने मंदिर के चढ़ावे के लिए गुणवत्ता नियंत्रण उपायों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
(एजेंसियों से इनपुट)