सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 सितंबर) को पूर्व आप पदाधिकारी विजय नायर को जमानत दे दी, जो ईडी द्वारा दायर दिल्ली आबकारी नीति मामले में आरोपी हैं। शीर्ष अदालत ने पूर्व आप पदाधिकारी को जमानत देते समय मनीष सिसोदिया मामले का हवाला दिया। वह 23 महीने से तिहाड़ जेल में बंद है। विचाराधीन कैदी होने के कारण उसे लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता था। प्राकृतिक न्याय यह तय करता है कि कारावास एक अपवाद है, और जमानत नियम है।
पूर्व आप मीडिया प्रभारी और आरोपी विजय नायर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। ईडी मामले में नायर को जमानत मिल गई है। सीबीआई मामले में नायर पहले से ही जमानत पर हैं। ईडी मामले में जमानत मिलने के बाद नायर जेल से बाहर आ जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के लिए के. कविता और मनीष सिसोदिया को मिली जमानत को आधार बनाया।
विजय नायर 2014 से आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े हुए हैं और पार्टी के लिए फंड जुटाने का काम करते थे। नायर आप की मीडिया और संचार रणनीति के लिए जिम्मेदार थे।
सीबीआई ने पहले आरोप लगाया था कि नायर वर्ष 2021-22 के लिए दिल्ली की जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं में सक्रिय रूप से शामिल थे।
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि नायर धन शोधन मामले में पिछले 22 महीनों से जेल में है, जिसमें अधिकतम सजा सात साल है।
12 अगस्त को पीठ ने नायर की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा था।
नायर को एजेंसी ने 13 नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था। उन्होंने अपनी डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी।
पिछले साल 3 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने धन शोधन मामले में नायर और अन्य सह-आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
धन शोधन का यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से उपजा है, जो उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश करने के बाद दर्ज की गई थी।