केंद्र ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को उम्मीदवारों की पहचान स्वैच्छिक रूप से सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग करने की अनुमति दे दी है। इस उपाय का उद्देश्य पंजीकरण के दौरान और परीक्षा और भर्ती के विभिन्न चरणों में सत्यापन प्रक्रिया को बढ़ाना है। नए दिशा-निर्देश आधार अधिनियम और संबंधित विनियमों का सख्ती से पालन करने पर जोर देते हैं।
यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण
केंद्र ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को उम्मीदवारों की स्वैच्छिक पहचान सत्यापन के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया है। यह ‘वन टाइम रजिस्ट्रेशन’ पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षाओं और भर्ती प्रक्रियाओं के विभिन्न चरणों के दौरान लागू होगा। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए स्पष्ट किया कि UPSC हां/नहीं या ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधाओं का उपयोग कर सकता है।
कानूनी प्रावधानों का अनुपालन
यूपीएससी को आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 और संबंधित नियमों के सभी प्रावधानों का पालन करना आवश्यक है। आयोग को प्रमाणीकरण प्रक्रिया के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के निर्देशों का भी पालन करना होगा।
पृष्ठभूमि: आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का मामला
यह घोषणा आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर से जुड़े विवाद के मद्देनजर की गई है, जिनकी उम्मीदवारी जुलाई में यूपीएससी द्वारा रद्द कर दी गई थी। खेडकर पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त अवसर पाने के लिए अपनी पहचान गलत बताई थी, जिसके बाद उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। हाल ही में खेडकर ने मामले में जमानत देने से इनकार करने वाले जिला अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मांगी थी। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका के संबंध में दिल्ली पुलिस और यूपीएससी को नोटिस जारी किया है।
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