प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “मैं देशवासियों को नए कानून के लागू होने पर बधाई देता हूं। इसे बनाने में न्यायविदों और संविधानविदों को काफी मेहनत करनी पड़ी।”
पीएम मोदी ने कहा, “आजादी के बाद लोगों ने सोचा कि अब अंग्रेज चले गए हैं तो उन्हें ब्रिटिश कानूनों से मुक्ति मिल जाएगी। वो कानून अंग्रेजों के दमन और शोषण का जरिया थे।”
सरकार द्वारा लाए गए बड़े बदलाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘आजादी के सात दशकों में न्याय प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोरदार चर्चा हुई.’ यह उम्मीद करते हुए कि नए कानून न्यायशास्त्र की आधुनिक चुनौतियों को सुविधाजनक बनाएंगे, पीएम ने कहा, “मुझे विश्वास है कि सभी के सहयोग से बनी यह भारत की न्याय संहिता एक मील का पत्थर साबित होगी।”
चंडीगढ़ के इतिहास का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “चंडीगढ़ की पहचान मां चंडी से है। सत्य और न्याय की स्थापना मां चंडी ने की थी और यही इन कानूनों का आधार भी है।” उन्होंने कहा, ‘चंडीगढ़ आकर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपने लोगों के बीच आ गया हूं।’
विशेष रूप से, 1 जुलाई को, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। (बीएसए)।
नए कानून कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और कानून प्रवर्तन की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से कई प्रगतिशील उपाय पेश करते हैं। उल्लेखनीय प्रावधानों में से एक जीरो एफआईआर की शुरुआत है, जो व्यक्तियों को किसी भी पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की अनुमति देता है, चाहे अपराध किसी भी स्थान पर हुआ हो।