सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (30 अगस्त) को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और उनकी अलग रह रही पत्नी पायल अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया। उमर ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की याचिका दायर कर कहा था कि वह और उनकी पत्नी पिछले 15 सालों से अलग रह रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि समझौते का प्रयास किया जा सकता है, हालांकि वह यह भी समझती है कि कुछ विवाहों को सुलझाया नहीं जा सकता।
दोनों की शादी 1 सितंबर 1994 को हुई थी और वे 2009 से अलग रह रहे हैं। उनके दो बेटे भी हैं।
उमर ने शुरू में परित्याग और क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग करते हुए फैमिली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, 30 अगस्त, 2016 को कोर्ट ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह यह साबित करने में विफल रहे कि उनकी शादी में ऐसी दरार आ गई है जिसे सुधारा नहीं जा सकता। इसके बाद उमर ने इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। दिसंबर 2023 में जस्टिस संजीव सचदेवा और विकास महाजन की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उन्हें समझौता करने के प्रयास में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया। उमर अब्दुल्ला का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वे दोनों 15 साल से अलग रह रहे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला की याचिका पर नोटिस जारी किया था और पायल अब्दुल्ला से जवाब मांगा था।
पायल अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने आज अदालत को बताया कि कम से कम एक बार मध्यस्थता का प्रयास किया जाना चाहिए। सिब्बल ने मध्यस्थता में भाग लेने पर सहमति जताते हुए स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य मामले को सुलझाना होगा, जरूरी नहीं कि सुलह हो।
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