कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि दुकानदारों की दुकानों या ढाबों पर पहचान पत्र लगाने का कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हिमाचल प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला से बात कर अपनी असहमति जताई और फिर शुक्ला ने हिमाचल के मंत्री विक्रमादित्य सिंह को खड़गे की ‘भावना’ से अवगत कराया।
शुक्ला ने गुरुवार को कहा कि दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के लिए सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन विधानसभा की एक समिति की सिफारिश के बाद यह बात सामने आई है जिसका उद्देश्य दुकानों और रेहड़ी-पटरी वालों को विनियमित करना है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के विपरीत हिमाचल प्रदेश में दुकानदारों को अपना नाम या फोटो प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है। शुक्ला ने कहा, “हमने मुख्यमंत्री (सुखविंदर सिंह सुक्खू) और विक्रमादित्य सिंह से बात की है। विधानसभा अध्यक्ष ने रेहड़ी-पटरी वालों को लाइसेंस देने के लिए एक समिति बनाई थी। लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें बाहर बोर्ड लगाना होगा कि यह नाम है। यह रेहड़ी-पटरी वालों को विनियमित करने के लिए है।”
उन्होंने कहा, “यह ‘योगी पैटर्न’ नहीं है। उत्तर प्रदेश में वे इसे राजनीतिक और सांप्रदायिक दृष्टिकोण से करते हैं। यहां ऐसा नहीं है।”
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, “मैंने संसदीय कार्य मंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया है, जिसमें मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और कई वरिष्ठ भाजपा विधायक शामिल हैं। समिति का गठन तो कर दिया गया है, लेकिन अभी तक समिति की कोई बैठक नहीं हुई है। समिति के निष्कर्ष भविष्य की कार्रवाई का मार्गदर्शन करेंगे। रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने से पहले मामले पर चर्चा करना जल्दबाजी होगी।”
हिमाचल सरकार के स्ट्रीट वेंडर्स के लिए आदेश की आलोचना
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने यह घोषणा करके विवाद खड़ा कर दिया है कि राज्य में दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपना पहचान पत्र दिखाना होगा। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य में प्रवासियों की बढ़ती संख्या के बारे में कई स्थानीय लोगों द्वारा व्यक्त की गई “आशंकाओं” को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा, “हमने स्ट्रीट वेंडरों के लिए स्ट्रीट वेंडर समिति द्वारा दिए गए पहचान पत्र प्रदर्शित करना अनिवार्य करने का निर्णय लिया है।”
मंत्री ने कहा कि खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा स्ट्रीट वेंडरों, विशेषकर खाद्य पदार्थ बेचने वालों की स्वच्छता और गुणवत्ता की भी जांच की जाएगी।
सदन द्वारा 10 सितम्बर को लिए गए निर्णय के अनुसरण में 20 सितम्बर को हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने ‘स्ट्रीट वेंडर्स’ के लिए नीति तैयार करने हेतु उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति गठित की।
एक बयान में कहा गया कि समिति के अन्य सदस्य विक्रमादित्य सिंह, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा तथा भाजपा विधायक अनिल शर्मा, सतपाल सिंह सत्ती और रणधीर शर्मा हैं।
बाहरी श्रमिकों को उनकी वास्तविक पहचान के साथ पंजीकृत करने का निर्णय संजौली में एक मस्जिद के कथित अनधिकृत हिस्सों को गिराए जाने के विरोध में कुछ सप्ताह पहले हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद लिया गया। पूरे राज्य में हिंदू संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए गए, जिन्होंने मांग की कि हिमाचल प्रदेश में काम करने के लिए बाहर से आने वाले श्रमिकों को पंजीकृत किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि स्ट्रीट वेंडर लाइसेंस केवल स्थानीय लोगों को ही दिए जाएं। उनके अनुसार, मुस्लिम समुदाय से संबंधित स्ट्रीट वेंडरों की संख्या में वृद्धि हुई है।
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)